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गुरुवार, 11 फ़रवरी 2016

दूषित पानी से बीमारियों की चपेट में सैकड़ों परिवार

बड़े और हाईप्रोफाइल नेताओं के क्षेत्र में भी नहीं पीने का साफ पानी

डॉ. अनिल सिरवैयां, भोपाल
9424455625
sirvaiyya@gmail.com

प्रदेश के 18 जिलों के लोग दूषित पानी पी रहे हैं। भू-जलस्रोतों के माध्यम से इन जिलों के अधिकांश लोगों के पास प्रदूषित पानी पहुंच रहा है। इनमें से अधिकांश लोगों के जनप्रतिनिधि प्रदेश के बड़े और हाईप्रोफाइल नेता हैं। इनके जिलों में विकास की अनेक परियोजनाएं क्रियान्वित हो रही हैं लेकिन पीने का पानी साफ नहीं हैं। कहीं पानी के साथ लोगों के शरीर में फ्लोराइड पहुंच रहा है तो कहीं नाइट्रेट से दूषित पानी पहुंच रहा है। कुछ जिले में लोग खारा पानी पी रहे हैं। 

इन जिलों के पानी के नमूनों की जांच में मुख्यत: फ्लोराइड, नाइट्रेट और सोडियम होना पाया गया है। यह तीनों पदार्थ अलग-अलग तरह की बीमारियों का कारण होते हैं। राज्य के जल संसाधन विभाग की एक अध्ययन रिपोर्ट में यह बात सामने आई है। प्रभावित क्षेत्रों में अधिकांश ग्रामीण इलाका है। इन जिलों में प्रदूषित पानी से लोगों को बचाने के लिए फिलहाल सरकार के पास कोई ठोस योजना नहीं है। हालांकि लोक स्वास्थ्य यांत्रिकीय विभाग फ्लोराइड युक्त पानी वाले भू-जलस्रोतों पर चेतावनी लिखता है। स्वास्थ्य विभाग के पास भी ऐसे क्षेत्रों के लिए कुछ अतिरिक्त कार्यक्रम है लेकिन यह सब नाकाफी है। 

किन-किन बीमारियों की आशंका

फ्लोराइड
- प्रभावित बस्तियों में लाइलाज फ्लोरोसिस बीमारी के लक्षण पाए गए हैं। इसके कारण अनेक शारीरिक विकृतियां जैसे हड्डी रोग जनित समस्याएं दिखाई दे रही हैं। 
- फ्लोरोसिस से ग्रसित व्यक्ति के शरीर, रीढ़, गर्दन, पैर या हाथ की हड्डियां टेढ़Þी-मेढ़ी या अधिक कमजोर हो जाती है। दांत में धब्बे दिखाई देते हैं। 
नाइट्रेट
- नाइट्रोजन उर्वरकों के अधिक उपयोग से कृषि जमीन की उत्पादक क्षमता घटती है। नाइट्रेट युक्त पानी पीने से किसानों के परिवार बीमार हो सकते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार इससे दुधमुंहे और छोटे बच्चों के शरीर में नीलापन (ब्लू बेबी सिंड्रोम) की बीमारी होती है। आंतों के कैंसर का खतरा होता है। 
- पानी में नाइट्रेट की अधिकता के कारण में अवांछित शैवाल की वृद्धि से मछली उत्पादन पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। 

यहां फ्लोराइड का खतरा
झाबुआ - मेघनगर ब्लाक
अलीराजपुर - जोबट
शिवपुरी - नरवर और करेरा ब्लाक
छिंदवाड़ा - छिंदवाड़ा ब्लाक
सिवनी - घनसौर, बरघाट, सिवनी ब्लाक
मंडला - मंडला ब्लाक
जबलपुर - गुप्तेश्वर वार्ड, मदनमहल वार्ड, रानी दुर्गावती वार्ड, त्रिपुरी वार्ड
यहां नाइट्रेट से पीड़ित
खंडवा - छैगांव, खलवा, पुनासा, हरसूद, पंधाना, खंडवा, बाल्डी ब्लाक
बुरहानपुर - खाकनेर, बुरहानपुर ब्लाक
खरगोन - कसरावद, खरगोन, महेश्वर, सेगांव, झिरनिया, गोगावा, बरवाहा, भीकनगांव, भगवानपुरा ब्लाक
बड़वानी - राजपुर, ठिकरी, पानसेमल, सेडवा, बड़वानी, निवाली, पाठी ब्लाक
धार - धार, तिरला, नालछा, कुक्षी, धरमपुरी, निसारपुर, बाग, सरदारपुर, बदनावर, उमरबन मनावर, ढही, गंधवानी ब्लाक
बैतूल - घोड़ाडोंगरी, चिचोली, भीमपुर, बैतूल, शाहपुर, आठनेर, भैंसदेही, आमला, मुलताई, प्रभातपट्टन ब्लाक
झाबुआ - मेघनगर, झाबुआ, रानापारा ब्लाक
अलीराजपुर - उदयगढ़ जोबट ब्लाक
सीहोर - सीहोर, इछावर, नसरूल्लागंज, बुदनी, आष्टा ब्लाक
विदिशा - सिरोंज, नटेरन, कुरवाई, बासोदा, विदिशा ब्लाक
रायसेन - गैरतगंज ब्लाक
नाइट्रेट : इन गांवों में सबसे ज्यादा खतरा
- खंडवा जिले के ग्राम बड़वानी में 788 मि.ग्राम/लीटर
- खरगोन  जिले के ग्राम शाहपुर में 744 मि.ग्राम/लीटर
- अलीराजपुर जिले के ग्राम अलीराजपुर में 722 मि.ग्राम/लीटर
- धार जिले के ग्राम लुमेराखुर्द में 774 मि.ग्राम/लीटर
- सीहोर जिले के ग्राम बैरागढ़खुमानी में 593 मि.ग्राम/लीटर
- भोपाल जिले के ग्राम हिनोती में 577 मि.ग्राम/लीटर
- विदिशा जिले के ग्राम जाटपुरा में 519 मि.ग्राम/लीटर
- रायसेन जिले के ग्राम बारखेड़ा में 438 मि.ग्राम/लीटर
- बैतूल जिले के ग्राम दुनावा में 255 मि.ग्राम/लीटर
यहां खारा पानी
- भिण्ड जिले का अटेर और मेहगांव ब्लाक
- धार जिले का तिरला, नालछा, धमरपुरी, बदनावर, डही और गंधवानी ब्लाक 
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यह स्थिति निश्चित तौर चिंताजनक है। अब तक भू-जल स्रोतों से प्राप्त पानी में फ्लोराइड होने के मामले ही सामने आते थे लेकिन अब नाइट्रेट और सोडियम की मात्रा बढ़ना, अनेक बीमारियों का कारण बनेगा। कृषि में नाइट्रोजन के बढ़ते उपयोग के कारण यह स्थितियां बनी हैं। ऐसा ही पंजाब ने किया था और आज वह कैंसर स्टेट के रूप में जाना जाता है। सरकार को चाहिए कि पानी के प्रबंधन और संरक्षण पर ज्यादा फोकस करे। प्रभावित क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुरक्षा के गंभीर प्रयास किए जाने की जरूरत है। 
सचिन जैन, कार्यकर्ता, विकास संवाद

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