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सोमवार, 1 अगस्त 2016

मप्र में 86.5 प्रतिशत निवेश सिर्फ घोषणाओं तक सीमित: एसोचैम

  • एसोचैम की रिपार्ट में सामने आई प्रदेश में निवेश के दावों की हकीकत
  • निवेश में आई 14 प्रतिशत की गिरावट
  • क्रियान्वयन में देरी से कई प्रोजेक्ट की लागत बढ़ी
  • निवेश मित्र वातावरण नहीं बना पाई मध्यप्रदेश सरका
Key Word : Madhya Pradesh, GSDP, Global Investers sumiit (GIS) Indore, MPAKVN, MPTRIFAC, Shivraj singh chauhan, Krishi Karman Award, ASSOCHAM, Invest MP, ease of doing business, Indore, Bhopal. Govt. of Madhya Pradesh 
डॉ. अनिल सिरवैयां, भोपाल
9424455625
sirvaiyya@gmail.com

अक्टूबर में सिंगापुर सहित कई देशों के साथ मिलकर पांचवीं ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट करने जा रही मप्र सरकार के निवेश के दावों की पोल खुल गई है। द एसोसिएटेड चैम्बर्स आॅफ काॅमर्स एण्ड इण्डस्ट्री आॅफ इण्डिया (एसोचैम) की एक अगस्त को जारी रिपोर्ट में मप्र में निवेश की हकीकत बताई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले वित्तीय वर्ष में आए 53000 करोड़ के निवेश में से 86.5 प्रतिशत निवेश केवल घोषणाओं तक ही सीमित हैं। शेष निवेश परियोजनाएं भी विभिन्न प्रकार की मंजूरियों के फेर में उलझी हैं। 

देश के शीर्ष उद्योग मण्डल द एसोसिएटेड चैम्बर्स आॅफ काॅमर्स एण्ड इण्डस्ट्री आॅफ इण्डिया (एसोचैम) द्वारा मध्य प्रदेश में नये निवेश की स्थिति पर किये गये ताजा अध्ययन में यह सभी तथ्य उजागर हुए हैं।
‘एनालीसिस आॅफ मध्य प्रदेश: इकोनाॅमी, इंफ्रास्ट्रक्चर एण्ड इन्वेस्टमेंट’ (मध्य प्रदेश का विश्लेषण: अर्थव्यवस्था, मूलभूत ढांचा एवं निवेश) विषय पर किये गये इस अध्ययन में कहा गया है कि ‘‘वर्ष 2013-14 में करीब 60 प्रतिशत की गिरावट के बाद मध्य प्रदेश में ग्लोबल इन्वेस्टर समिट के आयोजन के फलस्वरूप राज्य में नये निवेश में साल दर साल 700 प्रतिशत की भारी बढ़ोत्तरी हुई लेकिन गिरावट का दौर फिर शुरू हुआ और वर्ष 2015-16 में इसमें 14 प्रतिशत की कमी आयी।’’

इन क्षेत्रों में आया नया निवेश

पिछले वित्तीय वर्ष के दौरान मध्य प्रदेश में निर्माण क्षेत्र में सबसे ज्यादा करीब 68 प्रतिशत नया निवेश आया। उसके बाद बिजली (19 प्रतिशत), सेवा (11.5 प्रतिशत) और निर्माण (01 प्रतिशत) ने नया निवेश हासिल किया।

निजि निवेशकों को नहीं लुभा पाई सरकार

अध्ययन के अनुसार ‘‘हालांकि ग्लोबल समिट के आयोजन का मकसद निजी क्षेत्र की भागीदारी को प्रोत्साहित करना और निवेशकों को लुभाना था, लेकिन वर्ष 2014-15 में करीब 74 प्रतिशत निवेश सार्वजनिक क्षेत्र की तरफ से आया।’’ रिपोर्ट के मुताबिक ‘‘हालांकि पिछले वित्तीय वर्ष के दौरान यह रुख पलट गया और 2015-16 में राज्य द्वारा आकर्षित किये गये नये निवेश का 81 प्रतिशत हिस्सा निजी क्षेत्र की तरफ से प्राप्त हुआ।’’ मध्य प्रदेश ने वर्ष 2015-16 में कुल 5.75 लाख करोड़ रुपये का कुल लाइव (सक्रिय) इन्वेस्टमेंट हासिल किया था। इस तरह उसने साल-दर-साल 4.5 प्रतिशत की वृद्धि दर प्राप्त की। एक साल पहले इस राज्य ने 5.50 लाख करोड़ रुपये का लाइव इन्वेस्टमेंट प्राप्त किया था।

55 प्रतिशत निवेश पाॅवर सेक्टर में

राज्य में कुल सक्रिय निवेश का करीब 55 प्रतिशत हिस्सा बिजली क्षेत्र में प्राप्त हुआ है। उसके बाद विनिर्माण क्षेत्र में 20 प्रतिशत, गैर-वित्तीय सेवाओं के क्षेत्र में 12 प्रतिशत, सिंचाई के क्षेत्र में 06 प्रतिशत, खनन के क्षेत्र में 04 प्रतिशत, निर्माण एवं रियल एस्टेट के क्षेत्र में 03 प्रतिशत ऐसा निवेश आकर्षित किया गया है।

तीन लाख करोड़ के निवेश की धीमी रफ्तार

एसोचैम के इकोनाॅमिक रिसर्च ब्यूरो (एईआरबी) द्वारा तैयार किये गये इस अध्ययन के अनुसार वर्ष 2015-16 में कुल सक्रिय निवेश परियोजनाओं में से तीन लाख करोड़ रुपये की परियोजनाएं अपने क्रियान्वयन के विभिन्न चरणों में हैं। ऐसी परियोजनाओं में सबसे ज्यादा 60.5 प्रतिशत हिस्सेदारी बिजली क्षेत्र की है। उसके बाद गैर वित्तीय सेवाआंे (13 प्रतिशत), सिंचाई (10.5 प्रतिशत), विनिर्माण (लगभग 08 प्रतिशत), निर्माण एवं रियल एस्टेट (4.5 प्रतिशत) और खनन (करीब 04 प्रतिशत) क्षेत्रों की परियोजनाएं अपने क्रियान्वयन के विभिन्न चरणों से गुजर रही हैं।

87 प्रतिशत प्रोजेक्ट में 4 से 5 साल का विलंब, 35 प्रतिशत से ज्यादा लागत बढ़ी

अध्ययन के अनुसार मध्य प्रदेश में करीब 87 प्रतिशत निवेश परियोजनाएं ऐसी हैं, जो औसतन 57 महीने के विलम्ब से चल रही हैं। इसके अलावा तैयार होने में काफी देर के कारण 57 निवेश परियोजनाओं की लागत 35 प्रतिशत से ज्यादा यानी करीब 67 हजार करोड़ रुपये तक बढ़ चुकी है जबकि इन परियोजनाओं की वास्तविक लागत लगभग दो लाख करोड़ रुपये ही थी। पूर्ण होने में विलम्ब के कारण परियोजनाओं की बढ़ी कुल लागत में बिजली क्षेत्र की सर्वाधिक 60.5 प्रतिशत हिस्सेदारी है। उसके बाद सिंचाई (27 प्रतिशत), गैर-वित्तीय सेवाआंे (07 प्रतिशत) और विनिर्माण (06 प्रतिशत) की हिस्सेदारी है।

विलंब से इरीगेशन प्रोजेक्ट की लागत सबसे ज्यादा बढ़ी

सिंचाई क्षेत्र की परियोजनाओं की लागत में सबसे ज्यादा 76 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। उसके बाद विनिर्माण क्षेत्र (35 प्रतिशत), बिजली क्षेत्र (30 प्रतिशत), सेवा क्षेत्र (24 प्रतिशत) तथा अन्य परियोजनाओं पर यह मार पड़ रही है।

स्टेट प्रोजेक्ट की लागत में 55 प्रतिशत का उछाल

राज्य सरकार की परियोजनाओं की लागत में सबसे ज्यादा वृद्धि हुई है। प्रदेश सरकार की परियोजनाओं की लागत में 55 प्रतिशत से ज्यादा की बढ़ोत्तरी हुई है। उसके बाद निजी क्षेत्र की परियोजनाओं की लागत में 34 प्रतिशत तथा केन्द्र की परियोजनाओं की लागत में लगभग 30 प्रतिशत की वृद्धि हो चुकी है। 

विभिन्न प्रकार की मंजूरियों में अटका निवेश

परियोजनाओं के क्रियान्वयन में विलम्ब एक चिंताजनक मसला बन गया है और यह समस्या सिर्फ मध्य प्रदेश तक ही सीमित नहीं है, बल्कि पूरे देश में कमोबेश ऐसी ही स्थितियां हैं। इन हालात के मुख्य कारणों में भूमि अधिग्रहण तथा पर्यावरण तथा अन्य सम्बन्धित स्वीकृतियों में विलम्ब, कच्चे माल की आपूर्ति में रुकावटें, कुशल श्रमिकों की कमी, वित्तीय साधनों की कमी, प्रोत्साहकों तथा अन्य लोगों की घटती दिलचस्पी आदि शामिल हैं।

कम हो रही प्रायवेट सेक्टर की दिलचस्पी, मप्र ने खोई अपनी चमक

एसोचैम के अध्ययन के अनुसार भौतिक तथा सामाजिक ढांचे के अव्यवस्थित विकास की वजह से भागीदारी के मामले में निजी क्षेत्र की दिलचस्पी घटी है। इसकी वजह से मध्य प्रदेश में निवेश के परिदृश्य ने निराशाजनक रूप से अपनी चमक खोई है। यही वजह है कि यह राज्य 20 प्रतिशत आर्थिक विकास जैसी बड़ी उपलब्धि का भी फायदा नहीं उठा पा रहा है। आर्थिक विकास का राष्ट्रीय औसत 17 प्रतिशत ही है।

कम हुई देश की अर्थव्यवस्था में भागीदारी 

इसके अलावा भारत की अर्थव्यवस्था में मध्य प्रदेश का योगदान वर्ष 2005-06 के चार प्रतिशत के स्तर के मुकाबले 2013-14 में 3.9 प्रतिशत रहा। यानी इसमें मात्र 0.1 प्रतिशत की ही गिरावट आयी है।

12 साल में सिर्फ इतना हुआ विकास..., कृषि विकास के दावों पर सवाल

अध्ययन के अनुसार मध्य प्रदेश के करीब 70 प्रतिशत कामगार अपनी रोजीरोटी के लिये कृषि तथा उससे सम्बन्धित कार्यों पर निर्भर करते हैं, मगर इसके बावजूद सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) में इस क्षेत्र का योगदान आशा के अनुरूप नहीं है। वर्ष 2004-05 में जहां मध्य प्रदेश के जीएसडीपी में कृषि क्षेत्र का योगदान 27.7 प्रतिशत था, वहीं वर्ष 2014-15 में यह 28.1 प्रतिशत तक ही पहुंच सका।
कृषि क्षेत्र के विकास में सिंचाई की सुविधाएं सबसे महत्वपूर्ण कारक होती हैं। इन सुविधाओं की स्थितियां कृषि क्षेत्र में निवेश के आकार पर निर्भर करती हैं। हालांकि मध्य प्रदेश ने वर्ष 2015-16 में करीब 36 हजार करोड़ रुपये का निवेश आकर्षित किया है, मगर उनसे सम्बन्धित 88 प्रतिशत से ज्यादा परियोजनाएं अभी क्रियान्वयन के दौर से गुजर रही हैं।

चिंताजनक तथ्य यह भी...

एक चिंताजनक तथ्य यह भी है कि मध्य प्रदेश की अर्थव्यवस्था में औद्योगिक क्षेत्र का योगदान वर्ष 2010-11 में प्राप्त सर्वाधिक 26 प्रतिशत के मुकाबले 2014-15 में 22 प्रतिशत के स्तर तक जा गिरा। इसके अलावा औद्योगिक क्षेत्र में कामगारों की निर्भरता भी वर्ष 2001 में आकलित चार प्रतिशत के मुकाबले 2011 में घटकर तीन प्रतिशत हो गयी।