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शुक्रवार, 5 फ़रवरी 2016

गरीब महिलाओं के हाथों में आई ‘पंचायत सत्ता’ की कमान

गणतंत्र की ताकत : पंच-सरपंच, अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सदस्य चुनीं गर्इं साढ़े पांच हजार महिलाएं

डॉ. अनिल सिरवैयां, भोपाल
9424455625
sirvaiyya@gmail.com

Key words : Madhya Pradesh, Women Empowerment, Rural Women, Panchayati Raj 

विविधताओं से भरे भारत देश की एकता और अखंडता इसकी पहचान रही है। देश में अनेक रूपों में दिखाई देने वाली इस अखंडता, एकता और समूह शक्ति ने लोकतंत्र के विकास को नए आयाम दिए हैं। मप्र के छोटे-छोटे गांवों, कस्बों, इलाकों और अंचलों में इस समूह शक्ति के दम पर आधी आबादी यानी महिलाओं ने ‘पंचायतों की सत्ता’ अपने हाथ में ले ली है। इन गरीब और इनमें कुछ अति गरीब महिलाओं ने इस मिथक को भी तोड़ दिया है कि धनबल और बाहुबल के आधार पर ही चुनाव जीते जाते हैं। इन महिलाओं ने गणतंत्र और समूह शक्ति को चरितार्थ करते हुए एक दो नहीं पंचायतों के 5 हजार 412 पदों पर कब्जा किया। 

मप्र में पिछले साल हुए पंचायतों के चुनाव में जिला पंचायत सदस्य, जनपद अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और सदस्य तथा पंच-सरपंच के साढ़े पांच हजार पदों पर राज्य आजीविका मिशन के स्व-सहायता समूहों की महिलाएं चुनीं गर्इं हैं। इनके चुने जाने की मुख्य वजह यह रही है कि समूहों की सदस्यों ने प्रत्याशी चुनें, प्रचार किया और पूरे-जोर शोर से अपने समूह की महिला उम्मीदवार को जिताने में जुट गए। नतीजा यह हुआ कि राजनीति करने वाले अनेक धुरंधर इनके आगे नतमस्तक हो गए। इन महिलाओं ने समूह से जुड़कर पहले अपनी आजीविका के साधन तैयार किए। जब परिवार का भरण-पोषण करने की स्थिति में आ गर्इं तो फिर ग्रामीण विकास के लिए पहला कदम अपने गांव और अपनी पंचायत से ही उठाया। यह सभी गरीब महिलाएं पंचायत के विभिन्न पदों पर चुनकर बेहतर प्रशासन चला रही हैं। 
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पंचायतों की सत्ता में समूह से जुड़ीं गरीब महिलाएं

निर्वाचित पद का नाम संख्या
जिला पंचायत सदस्य 8
जनपद पंचायत अध्यक्ष 4
जनपद पंचायत उपाध्यक्ष         2
जनपद पंचायत सदस्य 136
ग्राम पंचायत सरपंच         667
ग्राम पंचायत उप सरपंच 40
ग्राम पंचायत पंच        4555
कुल                 5412

यह हमारे लिए गौरव की बात है कि मिशन से जुड़ीं महिलाएं न केवल अपने आर्थिक विकास के लिए परिश्रम कर रही हैं बल्कि उनमें इतनी जागरूकता आई है कि वे अब अपने गांव और प्रदेश के विकास के लिए भी सोचने लगी हैं। इतनी बड़ी संख्या में इन गरीब महिलाओं को चुना जाना, निश्चित तौर पर लोकतंत्र को मजबूती देता है।
- एलएम बेलबाल, सीईओ, एमपीएसआरएलएम

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