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शुक्रवार, 5 फ़रवरी 2016

जेंडर बजट : महिलाओं के नाम पर नहीं चलेगी खाना पूर्ति

- विभागों को वार्षिक प्रतिवेदन में देनी होगी विस्तृत और स्पष्ट जानकारी

डॉ. अनिल सिरवैयां, भोपाल
9424455625
sirvaiyya@gmail.com

मप्र में महिलाओं के सशक्तिकरण और कल्याण के लिए जेंडर बजट की व्यवस्था लागू होने के बाद अब इसे मजबूत किया जा रहा है। जेंडर बजट के नाम पर विभाग हर साल क्या करते हैं, अपने वार्षिक प्रतिवेदन में इसकी जानकारी देने नाम पर अब तक खानापूर्ति होती रही है। यही वजह है कि इस व्यवस्था के लागू होने के बाद सभी विभागों के स्तर पर कोई बड़ी पहल या कार्यवाही नहीं हुई, जिससे यह व्यवस्था सार्थक हो पाती है। 

इस स्थिति के राज्य सरकार ने जेंडर बजट व्यवस्था को मजबूत करने के लिए हाल ही में कुछ कदम उठाए हैं। अब सभी विभागों को इस व्यवस्था के तहत किए गए कार्यों की विस्तृत और स्पष्ट जानकारी हर साल विधानसभा को देनी होगी। विधानसभा के बजट सत्र में विभागों द्वारा प्रस्तुत किए जाने वाले अपने वार्षिक प्रतिवेदनों में जेंडर बजट का अलग से विस्तृत चैप्टर होगा। इस चैप्टर में क्या-क्या जानकारियां देनी हैं, इसकी जानकारी सभी विभागों को भेज दी गई है। उन बिंदुओं और जानकारियों को अलग-अलग वर्गीकृत किया गया है, जिनकी जानकारी देना अनिवार्य होगी। 

ऐसा होगा जेंडर चैप्टर
- खंड एक : जेंडर मुद्दे, जेंडर गेप, प्रमुख मानकों की स्थिति
इस खंड में विभागीय योजनाओं और विभागों से संबंधित जेंडर मुद्दे होंगे। कम से कम तीन जेंडर मुद्दों पर जानकारी देनी होगी। खासकर वे जिन पर तत्काल काम करने की जरूरत है। 
उदाहरण : स्कूल शिक्षा विभाग इस खंड में जानकारी
देगा कि बालक-बालिकाओं की शैक्षणिक स्थिति, नामांकन, समय पूर्व शाला छोड़ने की स्थिति, साक्षरता दर एवं इसी प्रकार की अन्य जानकारी। इसके अलावा कृषि, नगरीय विकास, आधारभूत संरचना आदि क्षेत्र जहां स्त्री और पुरूषों के अलग-अलग आंकड़े जाना कठिन होता है, वहां प्रमुख मानकों के संदर्भ में जेंडर गेप्स पर टिप्पणी देनी होगी।
- खंड दो : जेंडर मुद्दों पर विभाग की पहल
यह खंड विभागों की उन नीतियों, योजनाओं और कार्यक्रमों पर केंद्रित होगा जो जेंडर मुद्दों आर जेंडर गेप्स की पूर्ति के लिए हैं। 
उदाहरण : केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने जेंडर मुद्दों को राष्ट्रीय कृषि नीति 2000 में प्रमुख देने की पहल की है। किसानों पर राष्ट्रीय नीति 2007 में मानवीय और जेंडर पक्ष को सभी कृषि नीतियों और कार्यक्रमों में एक प्रमुख नीतिगत लक्ष्य के रूप में शामिल किया गया है। 
खंड तीन : प्रमुख उपलब्धियां और चुनौतियां
इस खंड में योजनाओं और नीतियों, उनकी उपलब्धियों और चुनौतियों पर विभाग की जानकारी होगी। 
- खंड चार : केस स्टडी और गुड प्रेक्टिस
इस खंड में उन उदाहरणों को शामिल किया जाएगा जो विभाग के जेंडर विषयक लक्ष्यों की पूर्ति में मार्गदर्शक हों। 
- खंड पांच : आगामी रणनीति
इस खंड में विभाग द्वारा जेंडर मुद्दों को प्रमुखता से विभागीय नीतियों, कार्यक्रमों और योजनओं में शामिल करने के लिए भविष्य में उठाए जाने वाले कदमों तथा पहलुओं का उल्लेख होगा। 
उदाहरण : राष्ट्रीय कृषि नीति में जेंडर सरोकारों को कृषि तथा उससे जुड़े अन्य मुद्दों में महिलाओं की क्षमता व विकास, उत्पादन संसाधनों तक उनकी पहुंच, नियंत्रण तथा स्वामित्व के लिए गंभीरता से प्रयास किए जा रहे हैं। 
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प्रत्येक विभाग द्वारा विधानसभा में प्रस्तुत किए जाने वाले अपने वार्षिक प्रतिवेदन में जेंडर बजट से संबंधित मुद्दों के लिए एक चैप्टर शामिल करने के लिए कहा गया है। इसके लिए कुछ मार्गदर्शक बिंदू विभागों को सुझाए गए हैं। 
डॉ. अमिताभ अवस्थी, उप सचिव, सामान्य प्रशासन विभाग, मप्र शासन

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