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शुक्रवार, 5 फ़रवरी 2016

बाली : पैर नहीं पर हौंसले से दौड़ी

 - पोलियोग्रस्त महिला ने दिखाई नई राह
- दोहरे संघर्ष से जीती जिंदगी की जं
Keyword : Women Empowerment, NRLM, Sirvaiyya@gmail.com, Alirajpur
भोपाल                  
महिलाओं के संघर्ष और इसके बाद उनकी सफलता की वैसे तो अनेक कहानियां हैं लेकिन बाली की कहानी कुछ अलग है। उसका संघर्ष दोहरा है। गरीबी और सामाजिक कुरीतियों के साथ-साथ उसने विकलांगता के दंश को भी हिम्मत से झेला है। यही वजह है कि पोलियो के कारण ठीक से नहीं चल पाने वाली बाली की हिम्मत के आगे कामयाबी भी उसके कदम चूम रही है। 
अलीराजपुर के सोंडवा विकासखंड के गांव लोढ़नी की बाली फेलिया जन्म से विकलांग है। गरीबी और अभावों भरा जीवन उसे विरासत में मिला था। कुछ समय पहले तक स्थिति यह भी थी कि बाली के परिवार में दो वक्त की रोटी का इंतजाम नहीं था लेकिन आज उसका जीवन पूरा बदल गया है। यह बदलाव उसके हौंसलों का नतीजा है। 5वीं तक पढ़ी लिखी बाली इसी विकलांगता के कारण आगे नहीं पढ़ पाई लेकिन जीवन के प्रति सकारात्मक सोच रखने वाली बाली आज आर्थिक स्थिति के मामले में
अपने पैरों पर खड़ी है और विकलांग होकर भी अपने पूरे परिवार को पाल रही है। बाली के परिवार में पति फेरला डाबर के अलावा दो बच्चे हैं।
कैसे बदली जिंदगी
अगस्त 2013 में बाली के गांव में महिलाओं के स्व-सहायता समूह बनाए जा रहे थे। महिलाओं को बचत करने और इसके लाभ बताए जा रहे थे। बाली भी समूह की सदस्य बन गई। उसे हिम्मत मिली और वह समूह से जुड़कर छोटी-छोटी बचत करने लगी। उसने समूह से दो-दो, तीन-तीन हजार रुपए के छोटे-छोटे ऋण लिए और काम शुरू किया। समय पर ऋण वापस भी कर दिया। यह समूह ग्रामीण आजीविका मिशन के थे। समूह के माध्यम से ट्रेनिंग लेकर उसने कपड़ों की कटिंग और सिलाई का हुनर सीखा और सितंबर 2014 में समूह से पांच हजार का ऋण और दो हजार अपनी बचत से मिलाकर सात हजार में सिलाई मशीन खरीद ली। बस यहीं उसकी जिंदगी में बदलाव की शुरूआत हो गई। वह महीने में तीन से चार हजार रुपए कमाने लगी। बाली और उसका पति, दोनों मिलकर गांव के लगभग 450 परिवारों के लिए सिलाई का काम करते हैं। 
लखपति बन गई बाली
सिलाई के काम से अच्छी कमाई होने के बाद बाली के पति ने पास के गांव उतावली में किराने की दुकान खोल ली। इसके लिए बाली ने समूह से 26 हजार ऋण लिया। किराना दुकान से हर महीने साढेÞ चार से पांच हजार, सिलाई के काम से 7500-9000 रुपए की मासिक आय होने लगी। बाली ने छोटी कृषि भूमि ली और इस पर कृषि से 20 से 25 हजार रुपए सलाना अतिरिक्त आय प्राप्त की। इस प्रकार अब बाली की वार्षिक आय एक लाख 65 हजार तक पहुंच गई है। अब बाली रेडीमेड कपड़ों का कारोबार शुरू करने की योजना बना रही है। 

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