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शुक्रवार, 5 फ़रवरी 2016

मप्र में ‘देवदासी’ को लेकर गंभीर नहीं सरकार

- केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कुप्रथा पर तत्काल रोक लगाने के निर्देश दिए- विदिशा, रायसेन और राजगढ़ जिलों में जारी है यह प्रथा

डॉ. अनिल सिरवैयां, भोपाल
9424455625
sirvaiyya@gmail.com

मप्र के कुछ जिलों में ‘देवदासी’ प्रथा अब भी बदस्तूर जारी है। देवदासी यानी महिलाओं से वैश्यावृत्ति कराने की परंपरा। मप्र के रायसेन, विदिशा और राजगढ़ जिलों के कुछ गांवों में यह कुप्रथा सर्वाधिक है जबकि कुछ अन्य जिलों में भी कहीं-कहीं यह जारी है। मुख्यत: नट और बेड़िया समाज की इस कुप्रथा पर समय-समय पर मीडिया रिपोर्ट आने के बाद भारत सरकार ने गंभीर रुख अख्तियार किया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने हाल ही में मप्र सरकार से कहा है कि इस कुप्रथा पर तत्काल रोक लगाने, पुनर्वास करने और महिलाओं की गरिमा से खिलवाड़ करने वालों के खिलाफ कड़े कदम उठाने को कहा है।

हाल ही में गृह मंत्रालय का यह पत्र राज्य के मुख्य सचिव और अपर मुख्य सचिव गृह का मिला है। गृह मंत्रालय ने कहा है कि देवदासी प्रथा का किसी भी रूप में बने रहना पूरी तरह से आईपीसी की धारा 370 व 370-ए का उल्लंघन है। इस पत्र में कहा गया है कि देवदासी प्रथा अमानवीय है और महिलाओं के स्तर को गिराने वाले सबसे जघन्य अपराधों में से यह एक है। पत्र में कहा गया है कि विभिन्न पीआईएल और मीडिया में आई खबरों से पता चलता है कि विभिन्न क्षेत्रों में कुछ समुदायों, खासतौर पर बेड़िया और नट समुदायों में धार्मिक रीति रिवाज के नाम पर देवदासी प्रथा अभी भी चल रही है।
मप्र में ऐसी है स्थिति
विदिशा, राजगढ़ और रायसेन जिलों के साथ ही मध्यप्रदेश के पचासों गांवों में यह गंदा काम हो रहा है। देह बेचकर घर-बार चलाना उनकी मजबूरी है, जो परंपरा बनकर वर्षों से चली आ रही है। कई गांवों में सिर्फ बेटियों से ही देह व्यापार कराया जाता है, बहूओं को इससे दूर रखते हैं। बेड़िया जाति का परंपरागत नृत्य राई भी इसी कारण से बदनाम हुआ है। इसकी आड़ में देह व्यापार किया जाता है। यहां खुलेआम देह-मंडी सजती है। यहां रहने वालीं नट, बेड़िया के अलावा बछड़ा, कंजर और सांसी जातियों की में भी यह कुप्रथा होने की बात समय-समय पर सामने आई है। 
सरकार के प्रयास विफल
मप्र में ऐसी जातियों को अनुसूचित जाति, जनजाति एवं घुमक्कड़ एवं अर्धघुमक्कड़ जातियों के रूप में चिन्हित किया गया है। पूर्व में सरकार ने इन कुप्रथा को खत्म करने के लिए इन समुदायों के लोगों को एक योजना के तहत जमीनें उपलब्ध करार्इं थीं लेकिन बंजर होने के कारण जमीनें इनके रोजगार का साधन नहीं बन पार्इं। वर्ष 2013 में मुख्यमंत्री निवास में विमुक्त घुमक्कड़ एवं अर्ध घुमक्कड़ जातियों की पंचायत बुलाई गई थी, जहां इन जातियों के विकास के लिए घोषणाएं हुर्इं थीं। 
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मप्र में विमुक्त, घुमक्कड़ एवं अर्धघुमक्कड़ जातियों के विकास, कल्याण, शैक्षिक-आर्थिक स्थिति को मजबूत करने के लिए मप्र सरकार लगातार काम कर रही है। इन समुदायों के बच्चों की बेहतर शिक्षा के लिए नए छात्रावास तैयार किए गए हैं। रोजगार के साधन उपलब्ध कराएं जा रहे हैं। इन समुदायों की ऐसी परंपराओं के प्रति जागरूक किया जा रहा है। हाल ही में भारत सरकार ने जो निर्देश दिए हैं, उनका सख्ती से पाल भारत सरकार के निर्देशों का पालन सख्ती से कराया जाएगा। 
ज्ञान सिंह, मंत्री विमुक्त, घुमक्कड़ एवं अर्धघुमक्कड़ विभाग, मप्र 

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