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शुक्रवार, 5 फ़रवरी 2016

राष्ट्रीय बालिका दिवस : इन बच्चियों के हौंसले को सलाम...

- बाल विवाह के विरूद्ध बुलंद की आवाज 

डॉ. अनिल सिरवैयां, भोपाल
9424455625
sirvaiyya@gmail.com

प्रदेश में बाल विवाह की कुरीति के खिलाफ अब खुद लड़कियां आगे आ रही हैं। प्रदेश में एक दर्जन से ज्यादा ऐसी जांबाज लड़कियां हैं जिन्होंने उम्मीद मिसाल कायम की है। बाल विवाह की शिकार इन लड़कियों ने अपने परिवार के फैसलों के विपरीत जाते हुए न केवल ससुराल जाने से मना किया बल्कि विवाह को ही शून्य कराया। यानी बचपन में हुइ शादी को अमान्य कर दिया। इन बच्चियों से कई लड़कियां अभी पढ़ाई-लिखाई कर रही हैं तो कुछ प्रशिक्षण लेकर अपने पैरों पर खड़े होने के प्रयास में जुटी हैं। प्रदेश में महिला खासकर लड़कियों के विकास लिए चल रहीं अनेक योजनाओं ने इस जागरूकता में अहम भूमिका निभाई है। बाल विवाह की कुरीति के खिलाफ आई जागरूकता का श्रेय प्रदेश के लाडो अभियान को दिया जाता है। योजनाबद्ध रूप से बालिकाओं की जारूकता के लिए चलाए गए इस अभियान में बड़ी संख्या में समुदाय की भागीदारी भी हो रही है। 

इन्होंने दिखाई हिम्मत

ससुराल जाने से ना किया तो घर से निकाला 
मंदसौर जनकूपुरा निवासी किशोरी का विवाह परिजन ने 4 साल पहले निंबाहेड़ा (राज.) के महेंद्र बंजारा से कराया था। कुछ दिन पहले माता-पिता व भाई ससुराल जाने का दबाव बनाने लगे। विरोध किया तो उसे घर से ही निकाल दिया। फिलहाल किशोरी आश्रयगृह में रह कर 11वीं की पढ़ाई कर रही है। उसका आवेदन महिला सशक्तिकरण कार्यालय के पास पहुंचा है।
16 वर्ष की उम्र है और दो बार हो चुका विवाह 
टाकेड़ा की 16 वर्षीय किशोरी का विवाह एक साल पहले जोटावद महिदपुर रोड निवासी जीतू पिता शांतिलाल से हुआ था। आठवीं में पढ़ने वाली किशोरी के पिता ट्रक ड्राइवर हैं। पता चला किशोरी का दो बार विवाह हो चुका है।
माता पिता को समझा कर विवाह शून्य कराने पहुंची 
मंदसौर के ही गलियाखेड़ी की 17 वर्षीय एक लड़की का विवाह दो वर्ष पहले झावल निवासी महेश बैरागी से करा दिया था। यह किशोरी फिलहाल पढ़ रही है।
मां-मामा ने की शादी, ‘लाडो’ से मिली प्रेरणा 
निंबोद की 11वीं की छात्रा का विवाह मां व मामा ने दो वर्ष पहले मिरावता तहसील अरनौद के प्रेम मीणा से कर दिया। मार्कशीट के अनुसार वतर्मान में छात्रा की उम्र 16 साल है। स्कूल में लाडो अभियान से प्रेरित हो विभाग के कार्यालय पहुंचकर विवाह शून्य घोषित कराने का आवेदन दिया।
श्यामू को सलाम
कु. श्यामू बाई बैस आज बी.ए. फाइनल की छात्रा है। वह अगर साहस नहीं दिखाती तो बाल-विवाह की बुराई से अभिशप्त होकर अपना जीवन बर्बाद कर लेती। उसने वर्ष 2005 में हुए अपने बाल-विवाह का विरोध किया और ससुराल जाने से इंकार कर दिया। उसकी इस हिम्मत के सामने मां-बाप भी नतमस्तक हुए। श्यामूबाई ने सिर्फ ससुराल जाने से ही इंकार नहीं किया बल्कि अपने विवाह को न्यायालय के जरिए शून्य भी घोषित कराया। उसके इस कार्य में शौर्या दल ने सहायता की। श्यामूबाई को सामाजिक कुरूतियों के विरूद्ध लड़ी गई लड़ाई के लिए रानी अवंती बाई वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
इन्होंने सूचना देकर रुकवाया अपना विवाह
इंदौर कु. दिव्या राठौर और कु. मुस्कान भार्गव ने स्वयं आवेदन देकर अपना बाल विवाह रूकवाया। इसी तरह का साहस मंदसौर की भुवनेश्वरी रेकवार, सीहोर जिले की कु. मंजु वंशकार, अनूपपुर की पिंकी शुक्ला, काजल, मांगी पाटीदार, ज्योति, अनीता, ममता, रानू भावसार अहिरवार और देवास की आरती जाट ने दिखाया और अपना बाल विवाह रूकवाने के साथ ही शून्य घोषित करवाया। मंदसौर की ज्योति और देवास जिले के सिंगवादा की भारती जाट का विवाह तो 50 वर्ष की आयु के व्यक्ति से करवाया जा रहा था। इन दोनों ने भी महिला एवं बाल विकास को सूचना देकर अपना विवाह रुकवाया।
लाड़ो अभियान ने रोके कई बाल-विवाह
प्रदेश में सरकार ने लाड़ो अभियान के जरिये बाल-विवाह पर प्रभावी अंकुश लगाने के लिये सभी जिले के लिये कार्य-योजना बनाकर कार्य किया। सभी ग्राम में कोर-ग्रुप का गठन कर उन्हें बाल-विवाह रोकने की जवाबदारी दी गयी। बाल विवाह को रोकने में शिक्षण संस्था, धार्मिक, ग्राम-पंचायत के सरपंच, वार्ड पार्षद और गाँव की नाईन को भी सदस्य बनाया गया है। पूरे प्रदेश में 4 लाख 7 हजार लोग कोर-ग्रुप के सदस्य हैं। अभियान में अभी तक 22 हजार 288 जागरूकता कार्यक्रम किये जा चुके हैं। इससे 51 हजार 835 बाल-विवाह पर रोक लगी। कई बालिकाओं के विवाह शून्य घोषित किये गये। अभियान के जरिये एक लाख 11 हजार 430 बच्चों को स्कूल में दाखिला भी दिलवाया गया।

फैक्ट फाइल
- मप्र में 1554 बालिकाएं बनी बाल विवाह रोकने अभियान की ब्रांड अंबेसडर
- शादी का दवाब आने पर लड़कियां चुपके से कर देती हैं शिकायत
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लाडो अभियान के तहत मप्र ने बहुत अच्छा काम किया है। इस अभियान की पूरे देश में सराहना हुई है। ये इसी बात से साबित होता है कि प्रधानमंत्री उत्कृष्टता पुरस्कार इस अभियान को मिल चुका है। हरियाणा और त्रिपुरा जैसे राज्य इस अभियान को दोहराने के लिए अध्ययन कर गए हैं। आज के इस विशेष दिन मैं बालिकाओं से आग्रह से करती हूं कि अपने भीतर की ऊर्जा को पहचाने और मप्र सरकार बालिकाओं के सशिक्तकरण के लिए प्रतिबद्ध है।
- माया सिंह, मंत्री महिला एवं बाल विकास विभाग
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