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शनिवार, 6 फ़रवरी 2016

‘कान्हा’ बनेगा कैदियों की पहचान

 - बड़े ब्रांड को टक्कर देने की तैयारी में मध्य प्रदेश की जेलों में बंद कैदी
- हॉर्टीकल्चर, फ्लोरीकल्चर और डेयरी उत्पाद भी होंगे जेलों में तैयार

डॉ. अनिल सिरवैयां, भोपाल
9424455625
sirvaiyya@gmail.com
Key word : Prison, Madhya Pradesh Jail Department, Prison break producer, Kanha 

भोपाल। प्रदेश की जेलों में बनने वाली सामग्रियां अब केवल जेलों में ही इस्तेमाल नहीं होंगी। अब इन्हें बाजार में उतारने की तैयारी की जा रही है। कैदियों द्वारा निर्मित यह सामग्री बाजार में ‘कान्हा’ के ब्रांड नेम से बिकेगी। जेलों में अब तक परंपरागत रूप से जो सामान बनता है, अब इससे आगे जाकर कई नए-नए उत्पाद भी अब कैदी तैयार करेंगे। 

प्रदेश की जेलों में बंद कैदियों के स्किल डवपलमेंट और जेल में बनने वाली सामग्रियों के वृहद रूप में विक्रय के लिए जेल विभाग ने कवायद पूरी कर ली है। जेल विभाग की योजना को राज्य योजना आयोग ने भी मंजूरी देते हुए बजट राशि में इजाफा किया है। जेलों में नई मशीनरी लगाने की योजना है। फिलहाल जेलों में 10 से 15 प्रतिशत ही उत्पादन होता है। नई प्लान के मुताबिक एक साल में इसे बढ़ाकर 60 प्रतिशत ले जाया जाएगा। जेल में बनने वाले यह उत्पाद न केवल खुले बाजार में बेचने की योजना है बल्कि सरकारी विभागों और सार्वजनिक उपक्रमों भी इन उत्पादों को खरीद सकेंगे। 
विभाग बिना टेंडर कर सकेंगे खरीदी
लघु उद्योग निगम और सहकारी संघ जैसी सरकारी उपक्रमों के साथ ही अब सरकारी विभाग जेलों से भी सामग्री खरीद सकेंगे। यानी अब जेल विभाग भी प्रदेश में परचेसिंग एजेंसी होगा। इसके लिए राज्य सरकार ने भण्डार क्रय नियमों में संशोधन किए हैं। खासबात यह है कि जेलों में कैदियों द्वारा बनाई जाने वाली सामग्री जेल विभाग द्वारा निर्धारित दरों पर खरीदी जा सकेगी। सरकारी विभागों को इसके लिए टेंडर बुलाने की जरूरत नहीं होगी। 
क्वालिटी और ब्रांड वेल्यू
जेल विभाग के अधिकारियों ने कहना है कि कान्हा ब्रांड के लिए पांच साल की कार्ययोजना तैयार की गई है। इन पांच सालों में कान्हा ब्रांड को स्थापित करने और क्वालिटी पर सबसे ज्यादा ध्यान दिया जाएगा। फिलहाल मप्र में ही कान्हा ब्रांड की वस्तुओं को योजना है लेकिन इसे प्रदेश के बाहर भी ले जाया जाएगा। 
जेलों में अभी यह काम होते हैं...
कंबल, दरी, चादर, बंदी वस्त्र, कारपेट, फर्नीचर, हस्तकला वस्तुएं, जैविक खाद, स्लीपर, फिनायल, साबुन, वाशिंग पावडर अगरबत्ती। इसके अलावा कई जेलों में आफसेट प्रिंटिंग और पेटिंग्स के काम भी किए जाते हैं। 
यह सामान भी बनाएंगे कैदी...
कृषि क्षेत्र से संबंधित वस्तुओं के उत्पादन पर ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है। इसके साथ ही फ्लोचीकल्चर और हॉर्टीकल्चर से संबंधित उत्पादन भी तैयार किए जाएंगे। जेल विभाग के पास 10 गौशालाएं हैं लिहाजा डेयरी प्रोडक्ट के क्षेत्र में भी कैदियों को उतारा जाएगा। 
लेबर भी उपलब्ध कराएगा 
प्रदेश की जेलों में बड़ी संख्या में बंद कैदियों के स्किल डवलपमेंट के लिए जेल विभाग श्रम आधारित सेवाएं भी शुरू करना चाहता है। यरवदा जेल में हुए प्रयोग के बाद प्रदेश की जेलों में इस प्रयोग को करने की कवायद है। इसमें जेल विभाग लेबर उपलब्ध कराएगा। यदि कोई कंपनी या संस्था कैदियों से कोई काम कराना चाहती है तो उन्हें वह काम सिखाकर तथा निर्धारित मजदूरी का भुगतान करने, पर उसे यह सेवा उपलब्ध कराई जाएगी। 
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हमारा फोकस बंदियों के स्किल डवपलमेंट है ताकि जब वे जेल से छूटे तो उनके हाथ में कोई न कोई हुनर हो। लेबर इंटेनसिव काम पर भी हमारा ध्यान है। जेलों में निर्मित उत्पादों को ‘कान्हा ’ ब्रांड नेम दिया गया है। अभी जो उत्पादन तैयार हो रहे हैं, उनके अलावा कई नाम उत्पाद तैयार करने की योजना है।
सुशोभन बनर्जी, एडीजी, जेल

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