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सोमवार, 29 जून 2015

जन-धन योजना के 60 प्रतिशत खाते खाली

- 70 लाख से ज्यादा लोगों ने नहीं दिखाई योजना में रुचि 
- एक नए पैसे का भी नहीं किया लेन-देन
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डॉ. अनिल सिरवैयां, भोपाल
9424455625
sirvaiyya@gmail.com

केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी प्रधानमंत्री जन-धन योजना में मप्र के लोगों ने ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखाई। योजना के तहत खोले गए कुल बैंक खातों में से 60 प्रतिशत से अधिक खातों में कोई ट्रांजेक्शन (लेन-देन) नहीं हुआ। खाते जब से खुले हैं तब से खाली पड़े हैं। लोगों की ‘उपेक्षा’ ने बैंकों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। योजना के तहत प्रत्येक खाताधारक को एक लाख के बीमा सुरक्षा दी गई है जिसके लिए खाते खुलने के 45 दिनों के भीतर कम से कम एक बार ट्रांजेक्शन होना जरूरी है। 
आपको बता दें कि प्रधानमंत्री जन-धन योजना के पहले चरण में मप्र में कुल एक करोड़ 20 लाख लोगों के बैंक खाते खुले हैं। यह खाते मार्च 2015 तक खोले गए थे। इस हिसाब से करीब 70 लाख लोगों ने अब तक अपने खातों की सुध नहीं ली है। हाल ही में राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति की बैठक में इस मामले पर विभिन्न बैंकों ने अधिकारियों ने चिंता जताई है। बैंक अधिकारियों का कहना कि योजना को लेकर आम लोगों में जागरूकता बढ़ाने की जरूरत है। यहां भी उल्लेखनीय है कि इनमें अधिकांश खातों को खुले हुए 45 दिनों से ज्यादा का समय हो चुका है। इस लिहाजा से ये खाताधारक एक लाख के दुर्घटना बीमा के लिए भी अपात्र हो चुके हैं। 
बीमा योजनाओं केवल 24 लाख कवर
प्रधानमंत्री जन-धन योजना के दूसरे चरण में 9 मई को लांच की हुर्इं प्रधानमंत्री जीवन ज्योति योजना, प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना और अटल पेंशन योजना में 16 जून तक प्रदेश में 73 लाख 81 हजार लोगों का ही बीमा हो पाया। इससे पहले 9 जून तक यह आंकड़ा केवल 24 लाख 38 हजार था। राज्य सरकार ने इन तीनों योजनाओं में दो करोड़ 92 लाख 60 हजार लोगों को कवर रखने का लक्ष्य रखा था। सरकार ने कहा था कि योजना की लांचिंग से तीन महीने के भीतर इस लक्ष्य को हासिल किया जाएगा। करीब दो महीने में लक्ष्य 50 प्रतिशत भी लक्ष्य की पूर्ति नहीं हो पाई। शेष लोगों को योजनाओं में कवर करने के लिए सरकार के लिए पास जुलाई का महीना बचा है। 
मंत्रियों की लगी थी ड्यूटी
बीमा और पेंशन योजनाओं में अधिक से अधिक लोगों को कवर करने के लिए राज्य सरकार ने बैंकों को सहयोग देने के लिए शिविर आयोजित करने के निर्देश कलेक्टरों को दिए थे। इसी तरह राज्य सरकार के मंत्रियों की ड्यूटी भी इन योजनाओं के लिए लगाई थी लेकिन इन प्रयासों के बाद भी 50 प्रतिशत लक्ष्य तक भी पूरा नहीं हुआ। 
इसलिए धीमी है रफ्तार
- योजनाओं के फार्म पर्याप्त संख्या में उपलब्ध नहीं है।
- बीमा और बीसी एजेंटों को किसी प्रकार के कमीशन की सुविधा नहीं इसलिए वे दिलचस्पी नहीं ले रहे।
अब ये होगा
- जिला मुख्यालयों तक बड़ी संख्या में फार्म पहुंचाए जाएंगे। बैंक मैनेजरों की जिम्मेदारी होगी।
- समाचार पत्रों में भरकर फार्म बांटे जाएंगे।
- बीमा कंपनियों का सहयोग भी लिया जाएगा। 
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आधार लिंकेज में भी पिछड़े
प्रदेश में करीब 71 प्रतिशत लोगों के आधार नंबर हैं लेकिन इनमें से केवल 53 प्रतिशत लोगों ने अपने आधार नंबर को अपने बैंक खातों से लिंक कराया है। उल्लेखनीय है कि केंद्र-राज्य सरकार की कई योजनाओं के लाभ के लिए बैंकों खातों से आधार नंबर को लिंक कराना अनिवार्य किया गया है। बैंक कमेटी की बैठक में इसके लिए भी भी बैंक अधिकारी जागरूकता की कमी बताई। 
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इस मामले पर सरकार का पक्ष जानने के लिए राज्य के वित्त मंत्री जयंत मलैया एवं राज्य सरकार के प्रवक्ता मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा से संपर्क किया गया लेकिन दोनों मंत्रियों का फोन लगातार बंद रहा। 
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इन बहुप्रचारित योजनाओं में लोगों का रूझान नहीं होना बताता है कि वे उन 15 लाख रुपयों का इंतजार कर रहे हैं जो काला धन वापस आने से लोगों के हिस्से में आने वाले थे। शायद इसीलिए 60 प्रतिशत लोगों ने जन-धन योजना के खातों में कोई लेन-देन नहीं किया।
- केके मिश्रा, मुख्य प्रवक्त, मप्र कांग्रेस कमेटी

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