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सोमवार, 15 जून 2015

मप्र : तेजी से एड्स की चपेट में आ रही हैं महिलाएं

- नियंत्रण के प्रयासों के बाजवूद रोगियों की संख्या में वृद्धि
- रोकथाम के लिए विभागों की संयुक्त कार्ययोजना बनी
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डॉ. अनिल सिरवैयां, भोपाल
9424455625
sirvaiyya@gmail.com
मप्र में एड्स के मरीजों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है। सरकार के तमाम प्रयासों से एड्स को लेकर जागरूकता तो बढ़ी है लेकिन मरीजों की संख्या में कमी नहीं आई। सरकार को हाल ही में मिली रिपोर्ट में इस बात की ओर ध्यान दिलाया गया कि एड्स नियंत्रण की गतिविधियों के विस्तार और जागरूकता के प्रयासों में तेजी लाने की जरूरत है। इसके बाद सरकार ने पिछले महीने स्वास्थ्य विभाग और महिला एवं बाल विकास सहित कुछ विभाग को शामिल करते हुए संयुक्त कार्ययोजना तैयार की है। इस कार्ययोजना के क्रियान्वयन की जवाबदारी इन सभी विभागों को दी गई है। 

मप्र एड्स कंट्रोल सोसायटी के परियोजना संचालक फैज अहमद किदवई ने महिला एवं बाल विकास सहित सहयोगी विभागों को इस आशय की जानकारी दी है। किदवई ने कहा कि महिलाओं में एचआईवी एड्स संक्रमण का प्रभाव बढ़ रहा है जिसके परिणामस्वरूप नवजात शिशुओं में भी एचआईवी संक्रमण होने की संभावना बढ़ गई है। इसलिए ऐसे पीड़ितों को जागरूक करने की जरूरत है।
संयुक्त कार्ययोजना
एड्स से लड़ने के विभागों की संयुक्त कार्ययोजना तैयार की गई है। इसमें सभी विभागों लारा किए जाने वाले कार्यों का कैलेंडर तैयार किया गया है। यह काम राष्ट्रीय जन सहयोग एवं बाल विकास संस्थान नई दिल्ली ने किया है। महिला एवं बाल विकास विभाग से कहा गया है कि वह विभागीय प्रशिक्षणों में एचआईवी एड्स पर तकनीकी सत्र शामिल करे। प्रत्येक प्रशिक्षण में एक घंटा की समयावधि एचआईवी एड्स के लिए निर्धारित की जाएगी।
40 हजार से ज्यादा हैं पॉजीटिव
मध्यप्रदेश में 2005 से लेकर दिसंबर 2014 तक 39 हजार 114, एचआईवी पाजीटिव खोजे जा चुके थे। इनमें 40 फीसदी से ज्यादा को एड्स भी हो चुका है। इसके बाद भी 9000 से ज्यादा एचआईवी पाजीटिव ऐसे हैं जो एआरटी (एंटीरेट्रोवायरल ट्रीटमेंट) सेंटर नहीं पहुंचे। महज 31,000 मरीज ही एआरटी सेंटर में पंजीकृत हुए।
दस सालों में 6500 की मौत
मप्र एड्स कंट्रोल सोसायटी (एमपीसैक) के अधिकारियों ने बताया कि पिछले 10 सालों में प्रदेश में इस बीमारी से लगभग 6500 मरीजों की जान जा चुकी है। इनमें 2000 ऐसे हैं जो इलाज के लिए सामने ही नहीं आए। एआरटी सेंटर नहीं आने वाले मरीजों खोजने के लिए एड्स कंट्रोल सोसायटी को मशक्कत करनी पड़ रही है। इंटीग्रेटेड काउंसलिंग एण्ड टेस्टिंग सेंटर(आईसीटीसी) में किसी ने अपना नाम गलत लिखाया है तो किसी ने पता। कुछ ने अपने ठिकाने बदल लिए हैं। अब एचआईवी पीड़ितों के स्मार्ट कार्ड बनाए जा रहे हैं। इस व्यवस्था से इन मरीजों को ढूंढना आसान हो जाएगा। उनकी फोटो व अन्य पहचान के आधार पर उनकी पड़ताल की जाएगी। इसके बाद काउंसिलिंग कर उन्हें एआरटी सेंटर भेजा जाएगा।
3700 पीड़ितों को खोजने की मुहिम शुरू
सोसायटी ने करीब 3700 एचआईवी पीड़ितों के नाम चिन्हित किए हैं, जिन्हें खोजकर एआरटी सेंटर लाया जाएगा। इनमें कुछ पीड़ित ऐसे हैं, जो इलाज लेना शुरू कर दिए थे और कुछ आज तक एआरटी सेंटर में पंजीकृत ही नहीं हुए हैं।
आंकड़े एक नजर में
एचआईवी पीड़ितों की संख्या- 39114
एआरटी में पंजीकृत - 31000
अब तक मौत - 6500
प्रदेश में एआरटी केन्द्र - 22

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