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शुक्रवार, 19 जून 2015

100 करोड़ का चिकन कारोबार महिलाओं के हाथों में

- प्रदेश में हर साल बिकता है औसत 500 करोड़ का चिकन
- 4 हजार महिलाएं करती हैं 100 करोड़ का कारोबार 
- कुल कारोबार में 20 प्रतिशत भागीदारी
Key word : broiler chicken, NRLM, DPIP, Belwal, Women Entrepreneur, Peoples, Sirvaiya, Madhya Pradesh, 
डॉ. अनिल सिरवैयां, भोपाल
9424455625
sirvaiyya@gmail.com
मप्र में हर साल औसत 500 करोड़ का ब्रायलर चिकन बिकता है। प्रदेश में 500 करोड़ के चिकन कारोबार में करीब 100 करोड़ का कारोबार महिलाओं के हाथों में हैं। यानी पूरे कारोबार में उनकी 20 प्रतिशत की भागीदारी है। पिछले साल इन महिलाओं ने 32 लाख किलो चिकन आसैर 88 लाख मुर्गे बेचे थे। 

प्रदेश के आठ जिलों की यह कुल चार हजार महिलाएं हैं। मप्र राज्य आजीविका मिशन के माध्यम से यह पिछले तीन सालों से इस कारोबार से जुड़ीं हैं। आजीविका मिशन ने इन महिलाओं के स्व-सहायता समूह तैयार कराए। इन्हें काम की शुरूआत से पहले इन्हें कई दौर में मुर्गी पालन का प्रशिक्षण दिया गया। इनके गांवों और बस्तियों में ही मुर्गी पालन के लिए शेड बना गए और कारोबार की शुरूआत के लिए औसत 10 से 12 हजार की अनुदान राशि दी गई। कुछ राशि इन्होंने मिलाई। इन आठ जिलों में इन महिलाओं की सहकारी समितियां हैं। इन आठों जिलों के लिए एमपी वुमन पॉल्ट्री प्रोड्यूसर कंपनी बनी है, जिसका संचालन भी इन महिलाओं के हाथों है। पहले साल इन महिलाओं ने 68 करोड़ 41 लाख का चिकन और मुर्गे बेचे। वर्ष 2015-16 में यानी मौजूदा वर्ष में 120 करोड़ का कारोबार करने का इनका टारगेट है। इस कारोबार से होने वाली बचत इन महिलाओं के खाते में बराबर-बराबर बंट जाती है। 
कहां की हैं ये महिलाएं
जिला ब्लाक
होशंगाबाद केसला 
सीधी         चुरहट
छतरपुर         ओरछा
टीकमगढ़         जतारा
डिंडोरी        डिंडोरी
सागर         देवरी
विदिशा         लटेरी
टीकमगढ़         राजनगर
केवल 60 प्रतिशत ही उत्पादन
मप्र में चिकन की जितनी खपत है, उसका 60 प्रतिशत ही उत्पादन प्रदेश में होता है। प्रदेश की शेष 40 प्रतिशत चिकन की जरूरत आंधप्रदेश, महाराष्ट्र जैसे राज्य पूरी करते हैं। 
इलाज भी करती हैं
ये महिलाएं मुर्गी पालन पालन में ही नहीं बल्कि मुर्गियों के इलाज में भी माहिर हैं। इन्हें बीमारियों और उनके इलाज की जानकारी हैं। आजीविका मिशन ने इन्हें न केवल प्रशिक्षण दिया बल्कि एक साल तक लगातार निगरानी की। 
चूजे से मुर्गे तक
इस कारोबार के लिए सबसे पहली जरूरत चूजों की होती है। इसके लिए होशंगाबाद जिले के केसला में आधुनिक हेचरी बनाई गई है। यह हेचरी प्रदान संस्था के साथ मिलकर बनाई गई है। यहां हर महीने 4 लाख चूजें तैयार होते हैं। 28 दिन तक चूजे पाले जाते हैं और इसके बाद इन्हें बेच दिया जाता है। 
हर साल कितना कारोबार
2012-13 - 68.41 करोड़
2013-14 - 83.93 करोड़
2014-15 - 96.15 करोड़
2015-16 - 120 करोड़ (संभावित)
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राज्य आजीविका मिशन ने गांवों में इन महिलाओं को रोजगार की गतिविधियों से जोड़ने के लिए इन्हें मुर्गी पालन का प्रशिक्षण दिया। ये बहुत बेहतर काम काम रही हैं। इन टर्न ओवर हर साल बढ़ रहा है। प्रदेश में करीब 500 करोड़ का ब्रायलर चिकन का कारोबार है। इसमें से करीब 100 करोड़ इन्हीं स्व-सहायता समूह की महिलाओं द्वारा किया जाता है। 
- एलएम बेलवाल,
परियोजना संचालक, मप्र राज्य आजीविका मिशन

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