लोकप्रिय पोस्ट

रविवार, 18 सितंबर 2016

दलित-आदिवासी युवाओं ने थामी समाज के उत्थान की कमान

चित्रों में देखिए, इनका जोश, जुनून, जागरूकता, शासन करने की क्षमता और योग्यता

अधिकारों को लेकर जागृत हो रहा वंचित वर्ग

डॉ. अनिल सिरवैयां, भोपाल
9424455625
sirvaiyya@gmail.com

 भोपाल। आरक्षण के कारण अक्सर सामान्य वर्ग के निशाने पर रहने वाली अनुसूचित जाति-जनजाति समाज की युवा पीढ़ी ने सामाजिक उत्थान की मशाल अपने हाथों में ले ली है। इस पीढ़ी पर ‘‘अयोग्यता’’ का ठप्पा लगाकर इन्हें हतोत्साहित करने वालों का अभियान अब विफल होता दिखाई दे रहा है। संवैधानिक आरक्षण को बैसाखी कहकर इनकी योग्यता पर सवाल खड़े करने वालों के हरेक तंज, हरेक सवाल और हरेक आलोचना का पूरे साहस के साथ जवाब दिया। 


18 सितंबर को राजधानी में अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन करने आए करीब 50 हजार से ज्यादा दलित-आदिवासी छात्रों के एकाएक इकट्ठे होने से स्थानीय प्रशासन और राज्य सरकार के होश से उड़ गए।



  यादगारे शाहजहांनी पार्क में हुई सभा में अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग के विभिन्न युवा संगठनों के पदाधिकारियों और प्रतिनिधियों ने अपनी ओजस्वी भाषण कला, तर्कों एवं तथ्यों के साथ अपनी बात रखने के अंदाज ने उपस्थित हजारो युवाओं में जोश भर दिया।


 इस मैदान में चारों तरफ जय बड़ादेव और जय आंबेडकर के नारे गूंंज रहे थे। संविधान की समीक्षा, आरक्षण, पदोन्नति में आरक्षण, बैकलॉग पदों की पूर्ति, दलित आदिवासी समाज का विकास, इन समुदायों पर अत्याचार, अपराध, भेदभाव सहित सभी ज्वलंत मुद्दों पर यहां चर्चा हुई। 




चित्रों में देखिए, इनका जोश, जुनून, जागरूकता, शासन करने की क्षमता और योग्यता








कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें