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मंगलवार, 25 अगस्त 2015

अमलतास, आमला और अश्वगंधा को बचाओ, 26 प्रजातियां संकट में

- जैव जगत/व्यवस्था की महत्वपूर्ण कड़ियों को बचाने की कवायद
- जमुनापारी, साहीवाल और कड़कनाथ नस्लें भी संकट के दौर में
- संरक्षण के लिए सरकार ने बनाया एक्शन प्लान
- आला अफसरों को किया जाएगा सक्रिय
डॉ. अनिल सिरवैयां, भोपाल
9424455625, sirvaiyya@gmail.com

मप्र में जैव व्यवस्था की महत्वपूर्ण कड़ियों के 25 से अधिक पौधे और करीब दो दर्जन से ज्यादा पौधों की प्रजातियां संकट में हैं। इसी तरह औषधीय पौधों की कई दुर्लभ प्रजातियां भी लुप्त होने की स्थिति में आ चुकी हैं। अमलतास, आमला, अश्वगंधा और सर्पगंधा जैसे पौधों की प्रजातियां और बकरी की जमुनापारी, गाय की साहीवाल और मुर्गे की कड़कनाथ जैसे पशुओं नस्लों को बचाना मुश्किल हो रहा है। मप्र राज्य जैव विविधता बोर्ड की मानें तो इन महत्वपूर्ण घटकों का लुप्त होना जैव विविधता के लिए हर सूरत में हानिकारक है। इसलिए इनका संरक्षण जरूरी है। केंद्र और राज्य सरकार इस दिशा में सक्रिय हैं, इसलिए जैव घटकों के दोहन के लिए नियम-प्रक्रियाओं और कानून बनाए गए हैं। लोगों को जागरूक किया जा रहा है ताकि इनका संरक्षण हो सके। 
पौधों की इन प्रजातियों पर संक

अडॅूसा, बील, चिरायता, सतावर, सिंदुर, अमलतास, गूग्गल, आंवला, गधा पलाश, कैथा, कृष्णावट, गुलर, खिरनी, हरिचंपा, मीठी नीम, हार सिंगार, सोनापाठा, कनकचंपा, सर्पगंधा, सीता अशोक, अर्जुन, बहेड़ा, गिलोय, परासपीपल, निर्गुन्डी और अश्वगंधा।
ये भी संकट के दौर में
कठिया गेहूं, कपूरी धान, देशी मंूग, मुर्गे की कड़कनाथ नस्ल, बकरी की स्थानीय नस्ल जमुनापारी, गाय की देशी नस्ल साहीवाल, नोनी एवं अचार के पौधे।

बचाने की कवायदें
जैव विविधता बोर्ड ने पौधों की लुप्त होती 25 प्रजातियों के लिए शैक्षणिक संस्थानों, अशासकीय संस्थाओं के साथ-साथ ग्रामीणों को सहारा लिया है। बोर्ड ने हाल ही इन 25 प्रजातियों के सात हजार से ज्यादा पौधे बांटे। जिन्हें पौधे बांटे गए उन्हें इनके संरक्षण की जिम्मेदारी भी दी गई। बोर्ड ऐसे सभी इच्छुक व्यक्तियों और संस्थाओं को इन प्रजातियों के पौधे उपलब्ध करा रहा है जो इनके संरक्षित करना चाहते हैं। 

आला अफसरों को जिम्मेदारी
जैव विविधता के संरक्षण के लिए राज्य सरकार वन विभाग के आला अफसरों को सक्रिय करने जा रही है। जैव विविधता बोर्ड ने इसके लिए एक्शन प्लान तैयार किया है। इसके तहत 31 अगस्त और एक सितंबर को भोपाल में सीसीएफ, सीएफ और डीएफओ स्तर के भारतीय वन सेवा के अधिकारियों को इस एक्शन प्लान की जानकारी और ट्रेनिंग दी जाएगी। इन्हें जैव विधिवता के प्रत्येक पहलू और संरक्षण के लिए बने नियम-कानूनों पर देशभर से बुलाए गए विद्वान ट्रेनिंग देंगे। टेÑनिंग देने के लिए नेशनल लॉ स्कूल बैंगलुरु के डॉ. एमके रमेश, आईआईएफएम भोपाल के प्रो. अभय पाटिल, लॉ यूनिवर्सिटी के डॉ. एल पुष्पकुमार और वनस्पतिशास्त्री एके कान्डया प्रमुख हैं। 
मैदानी अमले को भी ट्रेनिंग
संरक्षण के लिए बने एक्शन प्लान में वन रक्षक सहित वन विभाग के मैदानी अमलों को जिम्मेदारी सौंपी जा रही है। इससे पहले इन्हें जैव विविधता के मायने और महत्व समझाया जा रहा है। वन विभाग स्कूल और कॉलेजों में वन रक्षकों को जैव विविधता की आवश्यकता, मप्र में स्थिति, नष्ट होती प्रजातियों-नस्लों की जानकारी देकर इस दिशा में किए जाने वाले कार्यों और उनसे सरकार की अपेक्षाओं पर विस्तृत ट्रेनिंग दी जा रही है। 
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पौधों की 25 से अधिक प्रजातियां, पशुओं की नस्लें और परंपरागत अनाज की विभिन्न किस्में लुप्त होने की स्थिति में हैं। जैव विविधता के संरक्षण के लिए हम मैदानी अमले से लेकर वरिष्ठ अधिकारियों तक को ट्रेनिंग दे रहे हैं। संरक्षण के लिए कई जिलों में तेजी से काम किया जा रहा है। हमारी कोशिश है कि हम लुप्त हो रही सभी प्रजातियों और नस्लों को बचाएं। इसके लिए हम जनसहयोग भी ले रहे हैं। हाल ही में हमने सात से अधिक ऐसे पौधे बांटें हैं जो लुप्त होती प्रजातियों के हैं। कोई भी इच्छुक व्यक्ति यह पौधे बोर्ड से प्राप्त कर सकता है। 
डॉ. एसपी रयाल
सदस्य सचिव, मप्र राज्य जैव विविधता बोर्ड

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