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सोमवार, 21 अप्रैल 2014

संगम से निकलेंगी कितनी सीटें?

 संगम से निकलेंगी कितनी सीटें?


- मालवा में नर्मदा-क्षिप्रा लिंक परियोजना को भुना रही भाजपा

भोपाल\ पिछले चुनाव में मालवा-निमाड़ की अपनी मजबूत पकड़ वाली
पांस सीटें गंवाने के बाद भाजपा फिर से इन सीटों पर कब्जा करने के लिए ऐड़ी-चोटी का जोर लगा रही है। लोकसभा चुनाव से पहले पार्टी ने इन सीटों पर जीत के लिए काम करना शुरू कर दिया है। रही-सही कसर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने पूरी करते हुए चप्पे-चप्पे पर नजरें जमा रखी हैं। मालवा-निमाड़ में इस बार वैसे तो कई चुनावी मुद्दे हैं लेकिन भाजपा के लिए सबसे अहम नर्मदा-क्षिप्रा लिंक परियोजना है। इन दोनों नदियों के मिलन को पार्टी मालवा की तस्वीर बदलने वाली उपलब्धि के तौर पर प्रचारित कर रही है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सहित पार्टी के सभी स्टार प्रचारक और कार्यकर्ता अपने भाषणों इस योजना का उल्लेख करना नहीं भूल रहे। नर्मदा-क्षिप्रा संगम से कितनी सीटें निकलकर भाजपा की झोली में जाएगी, पर सबकी निगाहें हैं।
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योजना के दायरे में ये सीटें
हालांकि नर्मदा-क्षिप्रा लिंक परियोजना का दायरा इंदौर, देवास, उज्जैन लोकसभा सीटों तक सीमित है लेकिन पार्टी इसे पूरे मालवा-निमाड़ में जबर्दस्त तरीके से प्रचारित कर रही है। इन्हीं दो नदियों के तर्ज पर पार्वती और कालीसिंध सहित अन्य नदियों को जोड़ने की बात नेता अपने भाषणों में कर रहे हैं। यदि इस योजना का लाभ चुनाव में भाजपा को मिलता है तो इंदौर से सुमित्रा महाजन की जीत का आंकड़ा और बढ़Þ जाएगा तो उज्जैन और देवास की सीटें भाजपा कांग्रेस से छीनने में सफल हो सकती है।
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कांगे्रस कह रही, सुखा दी निमाड़ की फसलें
इधर इस परियोजना पर भाजपा के फोकस के बाद कांग्रेस ने भी अपनी तरफ से मोर्चा खोल दिया है। प्रदेश कांगे्रस के मीडिया प्रबंधन प्रभारी उपाध्यक्ष मानक अग्रवाल भाजपा सरकार ने निमाड़ क्षेत्र के किसानों की घोर उपेक्षा की है। पता नहीं वे निमाड़ के किसानों से कौन से जन्म की दुश्मनी निभा रहे हैं। ओंकारेश्वर बांध का पानी उनके खेतों तक पहुंचाने के मामले में उनको जिस तरह घोर उपेक्षा का शिकार बनाया गया है, उससे वहां के किसान आहत भी हैं। वर्ष 2006 में मुख्यमंत्री चौहान ने ओंकारेश्वर बांध की नहरों के निर्माण का भूमिपूजन करके किसानों को आश्वस्त किया था कि नहरों का काम तेजी से पूरा किया जाएगा। खेद की बात है कि 8 साल होने को आये-नहरों के निर्माण का काम अब भी जहां का तहां है। शिवराज सिंह ने अपने राजनीतिक एजेण्डे मे तहत आनन-फानन में 432 करोड़ की राशि का इंतजाम करके रिकार्ड अवधि में नमर्दा-क्षिप्रा लिंक परियोजना पूरी करवाकर अपने आका लालकृष्ण आडवाणी और बाबा रामदेव के साथ फोटो खिंचवाकर खूब वाहवाही लूट ली है। ऐसी दशा में मुख्यमंत्री को निमाड़ के किसानों को बताना चाहिए कि जब नर्मदा -क्षिप्रा लिंक परियोजना ताबड़तोड़ पूरी हो सकती है, तो ओंकारेश्वर बांध की नहरों का निर्माण 8 साल के बाद भी आगे क्यों नहीं बढ़ा।
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परियोजना एक नजर में 
नाम - नर्मदा-क्षिप्रा लिंक परियोजना
लागत - 432करोड़ रूपये
दूरी - 48 किलोमीटर
अनुमोदन हुआ - 12 अक्टूबर 2012
भूमिपूजन - 29 नवंबर 2012
शुभारंभ - 26 फरवरी 2014
किसने किया : लालकृष्ण आडवाणी, बाबा रामदेव, मुख्यमंत्री चौहान, नितिन गडकरी सहित भाजपा के वरिष्ठ नेता
विभाग- नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण
मुख्य काम - सिसलिया जलाशय से 5 क्यूमेक्स जल 350 मीटर की ऊंचाई तक लिफ्ट करकेपाईप्स के माध्यम से उज्जैनी ग्राम में स्थित क्षिप्रा के उदगम स्थल पर जल प्रवाहित करना।
लाभ : मालवा अंचल को गंभीर जल संकट से स्थायी निजात की का दावा

खंडवा में भी नर्मदा जल का मुद्दा
इधर निमाड़ की प्रमुख सीट खंडवा में नर्मदा जल के वितरण का मामला चुनावी मुद्दा बन गया है। यहां भी नर्मदा जल वितरण को अपनी उपलब्धि बताकर भाजपा वोट मांग रही है लेकिन मौजूदा सांसद और कांग्रेस के उम्मीदवार अरुण यादव इसे अपनी उपलब्धि बता रहे हैं। वे चुनाव प्रचार के दौरान कह रहे हैं कि भाजपा सरकार ने खंडवा में नर्मदा जल के निजीकरण का प्रयास शुरू कर दिया है, जिसे वे पूरा नहीं होने देंगे। उन्होंने कहा कि वैसे भी योजना राज्य सरकार की न होकर केंद्र सरकार की है। 106 करोड़ की इस योजना में 80 करोड़ केंद्र सरकार ने दिए हैं।

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