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सोमवार, 21 मार्च 2016

रामबाण औषधीय पौधों को बचाने टिशू कल्चर का सहारा

  • मैपकास्ट के केंद्र में 50 से अधिक पौधों के प्रोटोकाल तैयार
  • किसानों की आय बढ़ाने के लिए टिशू कल्चर पर  जोर
  • शहरों में हर्बल गार्डन के जरिए भी संरक्षण के प्रयास

डॉ. अनिल सिरवैयां, भोपाल
9424455625
sirvaiyya@gmail.com
keyword : MPCST, tissue culture, Bhopal, Madhya Pradesh, Dr. Rajesh Saxena

प्रदेश में दुर्लभ प्रजाति के औषधीय पौधों को संरक्षित करने और इनसे होने वाली पैदावार को बढ़ाने के लिए टिशूू कल्चर तकनीक कारगर हो रही है। वैसे तो प्रदेश में अनेक स्थानों पर किसान भी अपने स्तर पर टिशूू कल्चर के जरिए पौधों का उत्पादन करने लगे हैं, लेकिन प्रो. टीएस मूर्ति विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी केंद्र में व्यापक स्तर पर यह काम चल रहा है। औबेदुल्लागंज में 24 एकड़ के इस प्रक्षेत्र में औषधीय और सुगंध पौधों के विकास के लिए लगातार रिसर्च की जा रही है। 

केंद्र में टिशू कल्चर लैब में महत्वपूर्ण औषधीय पौधों धवई, अश्वगंधा, स्टीविया व पचैली पौधों का मल्टीपिकेशन किया गया है। टिशू कल्चर तकनीक से तैयार ब्रोकली, गन्ना, रूद्राक्ष और अश्वगंधा आदि पौधों की हाडनिंग कर ग्रीन हाउस में रखकर इनकी वृद्धि का अध्ययन किया जा रहा है। केंद्र ने अचार, अर्जुन, गिलोय और आंवला जैसे औषधीय महत्व के पौधों के प्रोटोकाल से पौध उत्पादन कर फील्ड में रोपण किया जा रहा है। केंद्र में अब तक 25 से अधिक दुर्लभ प्रजातियों के पौधों के प्रोटोकाल तैयार किए जा चुके हैं। 

रूद्राक्ष का प्रोटोकाल तैयार
केंद्र में ब्राह्मी, अडूसा,व कालमेघ का प्रोटोकाल तैयार किया गया है। धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण रूद्राक्ष के पौधे तैयार कर बगीचों में इन्हें लगाया जा रहा है। 

इन प्रजातियों पर काम शुरू :
बांस की नई प्रजाति, भूई आंवला, मरूआ, कलिहारी, भृगराज, चिरायता और कालमेघ के पौधों को टिशू कल्चर से विकसित करने के लिए प्रोटोकॉल तैयार करने का काम जारी है। 

किसानों की आय बढ़ाने का साधन
केंद्र के रिसर्च वैज्ञानिक डॉ. राहुल विजयवर्गीय कहते हैं कि केंद्र में टिशू कल्चर के तहत विभिन्न प्रजातियों के औषधीय महत्व के पौधों के प्रोटोकॉल तैयार किए जा चुके हैं।


पीएम के गांव की कमेटी के मेंबर :
केंद्र के निदेशक डॉ. राजेश सक्सेना मध्यप्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में लोगों को हर्बल गार्डन बनाने के लिए प्रेरित करते हैं। इसके लिए वे टिशू कल्चर से विकसित पौधे उपलब्ध कराते हैं।


इसलिए उपयोगी हैं यह प्रजातियां

सर्पगंधा : तेज बुखार, ब्लडप्रेशर में उपयोगी।
अश्वगंधा : प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है।
गिलोय : रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है। बुखार में काम आता है। 
बच: तुतलेपन को दूर करता है। 
ब्राह्मी : टायफाइड में लाभकारी।
अुर्जन: ब्लड प्रेशर में उपयोगी। 

इन पौधों के प्रोटोकॉल हो रहे तैयार
  • औषधीय एवं फलदार पौधे अनारक का प्रोटोकाल तैयार किया जा रहा है। 
  • अकरकरा, ब्राह्मी, गिलोय, केला, गन्ना, स्टीविया की हार्डनिग एवं रोप


केंद्र में प्लांट टिशू कल्चर के माध्यम से कई प्रजातियों को प्रयोगशाला में निर्मित करके उनका उत्पादन किया जा रहा है। 
डॉ. राजेश सक्सेना, सीनियर प्रिंसीपल सांइटिस्ट और केंद्र प्रभारी

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