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रविवार, 28 फ़रवरी 2016

खलघाट की प्रवाहित जल धाराओं ने बचाया ‘महाशीर’ का वजूद


  • विलुप्त हो रही राज्य मछली पर वन विभाग ने किया सर्वे
  • जैव विविधता बोर्ड के साथ मिलकर संरक्षण की कवायद 

डॉ. अनिल सिरवैयां, भोपाल
9424455625
sirvaiyya@gmail.com
Key word : Mahasheer, Biodiversity, Nimar, Badwah, Narmada River, Tiger of River, Madhya pradesh Biodiversity Board    

मध्यप्रदेश की राज्य मछली ‘महाशीर’ की विलुप्त हो रही प्रजाति को बचाने की कवायदों के बीच प्राकृतिक रूप से इसकी मौजूदगी के संकेत मिले हैं। वन विभाग के खंडवा वनवृत्त द्वारा किए गए क्षेत्रीय सर्वेक्षणों, स्थानीय वन समितियों, वन कर्मचारियों तथा मछुआरों आदि से चर्चा करने पर सामने आया है कि ओंकारेश्वर बांध से खलघाट के बीच पड़ने वाले नर्मदा के खंड में कई ऐसे स्थान हैं, जहां प्रवाहित जल धाराओं के कारण महाशीर मछली अभी भी मिला करती है। इसके यहां प्राकृतिक प्रजनन स्थल हैं। 

इन सर्वेक्षणों के बाद नर्मदा नदी के इस हिस्से में वन विभाग के साथ मिलकर मप्र राज्य जैव विविधता बोर्ड ने इसके संरक्षण का काम प्रारंभ किया है। इस सर्वेक्षण में सामने आया है कि बड़वाह वनमंडल के क्षेत्र में महाशीर मछली प्राकृतिक रूप से मिल रही है लेकिन संकेत यह भी मिले हैं कि इस मछली के बच्चे और अण्डे अब बहुत कम देखने में आते हैं जिससे इनकी संख्या में इस खंड में भी लगातार गिरावट आ रही है। वन विभाग और जैव विविधता बोर्ड के अनुसार वन क्षेत्रों में जहां बारहमासी प्रवाहित जल धाराएं अभी भी मौजूद है, वहां इस मछली के जीवित भंडारण एवं प्रजनन के प्रयास किए जाने चाहिए। इसके लिए यहां जैव विविधता बोर्ड एक विशेष प्रोजेक्ट क्रियान्वित कर रहा है। इस प्रोजेक्ट में महाशीर मछली के आवासीय सुधार के लिए प्राकृतिक एवं कृत्रिम जल स्त्रोतों का विकास कर संरक्षण किया जा रहा है।

2011 में घोषित हुई राज्य मछली

महाशीर मछली मुख्यत: नर्मदा पाई जाती है। स्थानीय भाषा में इसे बाड़स कहते हैं। नर्मदा की कुल लंबाई 1312 किलोमीटर ह। नर्मदा नदी मप्र में 1077 किलोमीटर में फैली हुई है। चूंकि महाशीर नर्मदा की प्रमुख मछली है और नर्मदा नदी की इतनी बड़ी सीमा मप्र में है, इसी आधार पर राज्य सरकार ने वर्ष 2011 में इसे स्टेट फिश घोषित किया था। केंद्रीय अंतरस्थलीय मात्स्यिकीय अनुसंधान कोलकाता की सर्वे रिपोर्ट के अनुसार नर्मदा नदी में वर्ष 1958 से 1966 के मध्य मत्स्याखेट में महाशीर प्रजाति 28 प्रतिशत थी। जब इसे स्टेट फिश घोषित किया गया, तब नर्मदा नदी में होशंगाबाद के पास महाशीर का उत्पादन 10 से 15 प्रतिशत ही रह गया था। ये मछली नवंबर, दिसंबर में प्रजनन करती है। इसकी लंबाई ढाई फीट, चौड़ाई 6 इंच, वजन करीब 2 किलो होता है। टाइगर आॅफ फ्रेश वॉटर के नाम से जाने जानी वाली महाशीर मछली मुख्यत: बहते पानी की मछली है। महाशीर बहते पानी और उसमें डूबे पत्थर की तलहटी में निवास करती है। 

जैव विविधता के लिए जरूरी

प्रदेश में जैव विविधता संरक्षण एवं पारिस्थिकीय संतुलन के लिए महाीशर मछली का संरक्षण करना जरूरी है। महाशीर एक प्रमुख र्स्पोट फिश है। यह नदियों की बायोडायवसिर्टी को बचाती है। 



इसलिए विलुप्त हो रही महाशीर

  • नर्मदा बेसिन में बांधों का निर्माण होने से महाशीर के प्रजनन स्थल डूब क्षेत्र में आ गए
  • माइग्रेशन रुक जाने से प्राकृतिक प्रजनन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा
  • नदी से कृषि के लिए अत्याधिक जल की निकासी के कारण
  • नर्मदा नदी में प्रदूषण बढ़ने और अवैध उत्खनन होने के कारण
  • मत्स्याखेट में अत्याधिक दोहन के कारण
  • मछुआरों में प्राकृतिक मत्स्य संरक्षण भावना का अभाव
  • ग्रासपिंग   प्रवृत्ति के कारण वंशी डोरी से पकड़े जाने के कारण। 

प्रदेश में मछलियां और उनकी स्थिति

  • जूलजीकल सर्वे आॅफ इंडिया के अनुसार प्रदेश में मछली की 215 प्रजातियां हैं। 
  • इनमें से 39 प्रजातियां आर्थिक रूप से उपयोगी हैं।
  • नेशनल ब्यूरो आॅफ फिशरीज जेनेटिक रिर्सोसेस के अनुसार 17 प्रजातियां विलुप्त होने की कगार पर हैं। 
  • राष्ट्रीय मत्स्य आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो, लखनऊ के निदेशक की सलाह पर महाशीर को स्टेट फिश घोषित किया गया था। 
  • इंटरनेशनल यूनियन फार कंजर्वेशन आफ नेचर ने भी महाशीर के विलुप्त होने पर चिंता जताई थी। 

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खंडवा वन वृत्त में स्थानीय वन अधिकारियों के सहयोग से महाशीर राज्य मछली का संरक्षण प्रारंभ किया गया है। आने वाले समय में वृहद स्तर पर इसके सरंक्षण के प्रयास किए जाएंगे। 
डॉ. एसपी रयाल, सदस्य सचिव, मप्र राज्य जैव विविधता बोर्ड

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